MAUT KA TRISHUL
Printed
Code: GENL-0221-H
Pages: 32
ISBN: 9788184916270
Language: Hindi
Colors: Four
Author: Papindar Juneja
Penciler: Bedi
Inker: N/A
Colorist: N/A
Paper: Glossy
Condition: Fresh
Price: Printed
Description
दैत्यनगरी के राजा दुष्टान्त ने मां शक्तिदायिनी की तपस्या कर उनसे प्राप्त की एक दिव्य तलवार। और भगवान शंकर से एक दिव्य त्रिशूल। वह निकल पड़ा सम्पूर्ण पृथ्वी पर अपना राज कायम करने। भगवान शंकर की सलाह पर वो सर्वप्रथम विशालगढ़ के राजा पर विजय प्राप्त करने आ पहुंचा विशालगगढ़। इघर बांकेलाल विक्रमसिंह को खाई में धक्का देकर स्वयं बन बैठा था विशालगढ़ का राजा। दो दुष्टों की जंग में कौन बना विजेता?